ये डीग्री भी लेलो, नौकरी भी लेलो,
भले छीन लो मुझसे US का विसा
मगर मुझको लौटा दो वो college का कन्टीन,
वो चाय का पानी, वो तीखा समोसा...
कडी धूप मे अपने घर से निकलना,
वो प्रोजेक्ट की खातीर शहर भर भटकना,
वो लेक्चर मे दोस्तों की proxy लगाना,
वो sir को चीढाना ,वो एरोप्लेन उडाना,
वो party की रातों का जागना जगाना,
वो पलकें झुका के, उसका मुस्कराना,
वो orals की कहानी,वो practicals का किस्सा...
वो चाय का पानी, वो तीखा समोसा...
बीमारी के reason से टाईम बढाना,
वो दूसरों के Assignments को अपना बनाना,
वो सेमीनार के दिन पैरो का छटपटाना,
वो WorkShop मे दिन रात पसीना बहाना,
वो Exam के दिन का बेचैन माहौल,
पर वो मा का यकीं- टीचर का भरोसा.....
वो चाय का पानी, वो तीखा समोसा...
वो पेडो के नीचे गप्पे लडाना,
वो Exams के दिन Theater मे जाना,
वो भोले से फ़्रेशर्स को हमेशा सताना,
Without कोई reason,वो bunk पे जाना,
वो टेस्ट के वक्त,किताबों को छुपाना,
वो महीने के last में उधारी में हिस्सा,
वो चाय का पानी, वो तीखा समोसा
Thursday, March 4, 2010
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