Tuesday, March 30, 2010

बहुत दिन हुए वो तूफ़ान नही आया,

बहुत दिन हुए वो तूफ़ान नही आया,
उस हसीं दोस्त का कोई पैगाम नही आया,
सोचा में ही कलाम लिख देता हूँ,
उसे अपना हाल- ए- दिल तमाम लिख देता हूँ,
ज़माना हुआ मुस्कुराए हुए,
आपका हाल सुने... अपना हाल सुनाए हुए,
आज आपकी याद आई तो सोचा आवाज़ दे दूं,
अपने दोस्त की सलामती की कुछ ख़बर तो ले लूं

क्युकि

खुशी भी दोस्तो से है,
गम भी दोस्तो से है,

तकरार भी दोस्तो से है,
प्यार भी दोस्तो से है,

रुठना भी दोस्तो से है,
मनाना भी दोस्तो से है,

बात भी दोस्तो से है,
मिसाल भी दोस्तो से है,

नशा भी दोस्तो से है,
शाम भी दोस्तो से है,

जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तो से है,
जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है,

मौहब्बत भी दोस्तो से है,
इनायत भी दोस्तो से है,

काम भी दोस्तो से है,
नाम भी दोस्तो से है,

ख्याल भी दोस्तो से है,
अरमान भी दोस्तो से है,

ख्वाब भी दोस्तो से है,
माहौल भी दोस्तो से है,

यादे भी दोस्तो से है,
मुलाकाते भी दोस्तो से है,

सपने भी दोस्तो से है,
अपने भी दोस्तो से है,

या यूं कहो यारो,
अपनी तो दुनिया ही दोस्तों से hai ..... rajan:
कमळ पत्रा वरील पाण्याला कधी थांब म्हणायच न

Friday, March 5, 2010

सोचा बहुत सोचा

सोचा बहुत सोचा

कुरसी पैर बैठ के सोचा ?

बीस्तर पर लेट के सोचा ?


टेबल पर चढ़ के सोचा ?

Computer पर ONLINE होते हुए भी सोचा ?

कीताबो में घुस कर सोचा ?

रात को मोर्नींग वाल्क करते हुए सोचा ?

बीना खाए सोचा ?

खा कर भी सोचा ?

पी कर भी सोचा ?

नहा कर भी सोचा ?

इतना सोचकर भी सोचा की इतना क्यूँ सोचा ????

कैसे सोचा ???? yaar simple दो शब्द ही तो

लीखने है

लो



u r cute.....so cute person..............

लोग कहते है की दोस्ती इतनी न करो की सर पे सवार हो जाये .
लेकिन हम कहते है की दोस्ती इतनी करो की दुश्मन को भी आप से प्यार हो जाये ...........

Thursday, March 4, 2010

ये डीग्री भी लेलो, नौकरी भी लेलो,

ये डीग्री भी लेलो, नौकरी भी लेलो,
भले छीन लो मुझसे US का विसा
मगर मुझको लौटा दो वो college का कन्टीन,
वो चाय का पानी, वो तीखा समोसा...

कडी धूप मे अपने घर से निकलना,
वो प्रोजेक्ट की खातीर शहर भर भटकना,
वो लेक्चर मे दोस्तों की proxy लगाना,
वो sir को चीढाना ,वो एरोप्लेन उडाना,
वो party की रातों का जागना जगाना,
वो पलकें झुका के, उसका मुस्कराना,
वो orals की कहानी,वो practicals का किस्सा...
वो चाय का पानी, वो तीखा समोसा...

बीमारी के reason से टाईम बढाना,
वो दूसरों के Assignments को अपना बनाना,
वो सेमीनार के दिन पैरो का छटपटाना,
वो WorkShop मे दिन रात पसीना बहाना,
वो Exam के दिन का बेचैन माहौल,
पर वो मा का यकीं- टीचर का भरोसा.....
वो चाय का पानी, वो तीखा समोसा...

वो पेडो के नीचे गप्पे लडाना,
वो Exams के दिन Theater मे जाना,
वो भोले से फ़्रेशर्स को हमेशा सताना,
Without कोई reason,वो bunk पे जाना,
वो टेस्ट के वक्त,किताबों को छुपाना,
वो महीने के last में उधारी में हिस्सा,
वो चाय का पानी, वो तीखा समोसा